हम बडे क्यूँ होते है!
पता नहीं क्यों पर बड़े होने का एहसास अब कुछ ज्यादा ही होने लगा है।
जभी बचपन की याद आती है तो उस खयालोमे खोने का मन सा करता है।
क्या दिन थे वो अपने बचपन के जो जल्दी जल्दी गुजर गये है।
ऐसा लगता है अभी अभी कुछ हाथ से छूट सा गया है।
जबभी कोई बचपन की वीडियो देखते है या फिर बचपन के गाने सुनते है तो एक दिल सा बैठ जाता है।
अचानक क्यों बड़े हो गये ऐसा महसूस होने लगता है।
अपने ही घर से दूर जाने का एहसास होने लगता है।
एक नई दुनिया तो बसाई है लेकिन फिर भी कुछ कमी सा लगता है।
एक मां बाप ही होते है जिनको अपने मन की बात नही बताई तो भी उन्हे पता कैसे चलती है।
ओर एक हम होते है जो उनको दुःख न हो इसका ख्याल रखते है। और कुछ बताते नही!फिर भी वो जान जाते है!आखिर वो हमारे मा बाबूजी है!
जल्दी ही बड़े होने का एहसास क्यों होता है।
क्या वो दिन थे जहां नानी,दादी के यहा जाकr सब मिलकर मज़े किया करते थे।
एक छोटी सी हसी में भी बहुत सारा प्यार भरा करते थे।
एक नई दुनिया बस तो गई है पर बचपन वाली हसी कहिना कही छूट सी गई है।।।
ऐसा क्यों होता है अब बड़े होने का एहसास ज्यादा ही महसूस होने लगा है
शीतल अभिषेक शर्मा
जयपूर,राजस्थान